STORYMIRROR

डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Abstract

4  

डाॅ. बिपिन पाण्डेय

Abstract

कुंडलिनी छंद

कुंडलिनी छंद

1 min
172

कवि मन बैठा नित करे,भावों की मनुहार।

शब्द खड़े हों थाल ले, स्वागत को तैयार।


स्वागत को तैयार, करें जब पूर्ण समर्पण।

आते हैं शुचि भाव, हमेशा तब ही कवि मन।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract