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Sundar lal Dadsena madhur

Abstract

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Sundar lal Dadsena madhur

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शरद ऋतु

शरद ऋतु

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शरद ऋतु के आगमन संग

घांस पूस पत्ते झाड़ियों में।

रजत वर्ण ऊन की चादर ओढ़े

दिखते खेत खलिहान बाड़ियों में।

रात सुहानी है,होती ओस की बौछार

दीपोत्सव संग होते अनेकों त्यौहार।

मन उपवन शांत पर थोड़ा चंचल भी

शीत ऋतु संग धरा का हुआ श्रृंगार।

अल सुबह घनघोर कोहरा छाया है

नवरूप के संग विविध सुमन भाया है।

कड़कड़ाती ठंड में आती सुहानी बयार

कंबल,रजाई की बारी,शीत ऋतु आया है।



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