वेदना
वेदना
मन में हो जब वेदना
जग लागे सूना - सूूना।
पतझड सा जीवन लागे
प्रीत बिना ये सारा जग।
पास न दिखता
दूर न दिखता
कोई अपना मीत न दिखता।
चहुँ दिश् दिखता कोलाहल
पर मन करता क्रन्दन- क्रन्दन।
ये जीवन दुख का सागर है
मन को न मिलता, यहाँ पर सुुख ।
मन में हो जब वेदना
जग लागे सूना - सूूना।
पतझड सा जीवन लागे
प्रीत बिना ये सारा जग।
पास न दिखता
दूर न दिखता
कोई अपना मीत न दिखता।
चहुँ दिश् दिखता कोलाहल
पर मन करता क्रन्दन- क्रन्दन।
ये जीवन दुख का सागर है
मन को न मिलता, यहाँ पर सुुख ।