क्या भूलूँ, क्या याद करूँ
क्या भूलूँ, क्या याद करूँ
1 min
281
क्या भूलूँ, क्या याद करूँ
दिन - सालों में बदलते रहे
घटनाओं में ढलते रहे।
कई लोग मिले
अच्छे - बुरे भाव जगे
जिंदगी के अनुभवों ने
हमारी कमजोरियों को गिनाया
हमारे आगे आईना रखकर
हमें खुद से मिलाया
जिंदगी की हकीकत से रूबरू कराया ।
चलचित्र सा जीवन
फ्लैश - बैक में चल रहा है
अधूरे सपनों की कहानी कह रहा है
यादों की तराजू पर हमें तौल रहा है
हम अच्छे थे या बुरे
इसका विश्लेषण कर रहा है
बस परिणाम शेष है ।