आश्चर्य के बुरे दिन आश्चर्य के बुरे दिन
मत बन ज़माने में तू इतनी बेरहम साखी, ज़माने में इतने गुनहगार तो हम भी न थे। मत बन ज़माने में तू इतनी बेरहम साखी, ज़माने में इतने गुनहगार तो हम भी न थे।
हार हो या जीत हो सत्य ही मनमीत हो हार हो या जीत हो सत्य ही मनमीत हो
उजाले से डर लगता है दिन में धोखेबाज रंग बदल लेते हैं उजाले से डर लगता है दिन में धोखेबाज रंग बदल लेते हैं
तस्वीरें भी उदास हैं, लाइब्रेरी की दीवारों में। कहती हैं ये दिन बुरे, कब तलक फिरेंगे।। तस्वीरें भी उदास हैं, लाइब्रेरी की दीवारों में। कहती हैं ये दिन बुरे, कब तलक ...
अलविदा कहने को जी नहीं रोक भी ना सकता तुम्हें अलविदा कहने को जी नहीं रोक भी ना सकता तुम्हें