किताबें पूछती हैं
किताबें पूछती हैं
1 min
203
किताबें पूछती हैं, स्कूल कब खुलेंगे।
नन्हे नन्हे हाथों के, स्पर्श कब मिलेंगे।।
हम भी लॉकडाउन हैं, अलमारियों में बंद।
स्कूल जब खुलेंगे तो, चेहरे सभी खिलेंगे।।
एकटक निहारती हैं, खाली कुर्सी टेबल।
कब तुम्हारी आहट से, दरवाजे ये हिलेंगे।।
तस्वीरें भी उदास हैं, लाइब्रेरी की दीवारों में।
कहती हैं ये दिन बुरे, कब तलक फिरेंगे।।
दिन बहुत ही बीते, बच्चों से मिले हुए।
आओगे कब भला, कब तुमसे हम मिलेंगे।।
अपनी खैरियत का, देखो ख्याल रखना।
मोती थाम लेना जो, आँखों से गिरेंगे।।