सद्भाव
सद्भाव
चलो ईद में होली खेलें, दीवाली में बनाएं सेवइयां।
सब रंग जाएं खुशी के रंग में, गले मिले जब अली कन्हैया।।
ओणम में पोंगल की खुश्बू, उगादि में फिर खीर बने।
उत्सव से उत्साह बढ़ेगा, दिल मिलें तो पर्व खिले।।
मंदिर में रमजान मनाये, मस्जिद में नवरात्र हो।
ना तेरा ना मेरा झंडा, झंडा तिरंगा मात्र हो।।
प्यार और सम्मान देना, ये सबका ईमान हो।
मजहब चाहे हो अलग, आदमी पहले इंसान हो।।
हाथ जोड़ अब करें नमस्ते, या हाथ खोल आदाब हो
दुआ करें सब नेक रहें, सच पूरे देश के ख्वाब हों।।