गांव की मिटटी कैसे भूलूँ
गांव की मिटटी कैसे भूलूँ
चाहे कितने ऊंचे पद छू लूं
गांव की मिटटी कैसे भूलूँ
बारिस की पहली बूंदों में
छोटे से आंगन में खेलूँ।
गांव की मिटटी कैसे भूलूँ।
कागज की वो नाव बनाना
पानी मे उसको तैराना
अमराई के आमों की डाली में
बांध के रस्सी फिर से झुलूँ
गांव की मिटटी कैसे भूलूँ।
बांध पतंग में कच्चे धागे
गलियों में हम जब भी भागे
आवाज लगाती थी माँ जब भी
आता हूँ माँ जोर से बोलूं
गांव की मिटटी कैसे भूलूँ।
पड़ोस में थी एक बुढ़िया दादी
अक्सर पहना करती थी खादी
मार प्यार की उनकी थापें
किताब पुरानी फिर से खोलूं
गांव की मिटटी कैसे भूलूँ।
भाई बहन का लड़ना झगड़ना
प्यार बहुत था पर ना कहना
एक थाली में खा लेते थे
फिर से बन के गोलू भोलू
गांव की मिटटी कैसे भूलूँ।