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Shubham Rawat

Abstract Drama Others

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Shubham Rawat

Abstract Drama Others

पागल

पागल

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सपने सारे खो दिये

लगता है अपनो से शर्त हारे हो


उजाले से डर लगता है

दिन में धोखेबाज रंग बदल लेते हैं


बडे़ चुप से रहते हो

सच बताओ नशा करते हो


लोग पागल क्यों कहते हैं मुझे 

क्या पागल मेरे जैसे होते हैं


बुरे लोग कैसे होते हैं 

'शुभम' तेरे जैसे होते है 



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