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Shubham Rawat

Abstract

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Shubham Rawat

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शहर

शहर

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दिलों में लोगों के आग हैं

धुआँ धुआँ शहर हो रहा

वो बंजारे अब ठहरते नहीं 

उन्हें लोगों से डर हैं


वो दौर क्यों गुजर रहा है

उस दौर में सिर्फ मोहब्बत थी

अब दौर से खौफ है 

अब सिर्फ पीछे छोड़ने की दौड़ हैं


क्या हाल बना लिया हैं, इस शहर ने

शहर में मोहब्बत तो हैं, पर वो बिक रही

दिलों में लोगों के आग है

धुँआ धुँआ शहर हो रहा ।


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