भूख
भूख
सुनहरे खेतों के बीच से होकर जब वह गुजरती है
कमर में अपने दराती, सर में घास की गढ़ोई लेकर
वह खेतों में बैलों के साथ हल लगाता है
पानी की बोतल लेकर जब उनकी बेटी आती है
सर में एक बाल्टी पानी बैलों के लिए भी लाती है
पानी पीता है बाप, पानी पीते हैं बैल
बेटी मुस्कुराती है।
जाते-जाते कहती है, "खाना खाने आ जाओ बाबू!"
पिता बैलों को चरने के लिए खोल कर खाना खाने चला जाता है
जब फसल खेतों पर लहरारही होती है
खुशबू उसकी हवा में घुलती है
वह फसल जब पक कर पेट में जाती है
तब भूख मिटती है।
