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Shubham rawat

Abstract Others

4.5  

Shubham rawat

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खिड़की

खिड़की

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मेरे कमरे में एक खिड़की है

जो हर वक्त खुली रहती है

उस खिड़की से में रोज लोगों को देखता हूँ

सुबह एक लड़की गुजरती है

उसके हाथों में किताब रहती है

जब वापस लौटती है

वह उस रास्ते से

उसके साथ एक लड़का होता है 

जो उसका हाथ थामे होता है

वो दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कराते हैं,

बातें करते हैं 

मैं उनको देख कर मुस्कुराता हूँ

कलम उठाकर कागज पर कुछ लिखता हूँ


एक आदमी अपने बेटी की उंगली पकड़

उसे स्कूल ले जाता है 

वो हाथ छोड़ तेजी से आगे भाग जाती है 

वह आदमी उसे पकड़ लेता है 

बेटी मुस्कुराती है

मैं मुस्कुराता हूँ

एक कुत्ता दूसरे कुत्ते के ऊपर भौंक रहा होता है

कुछ लोग डर के रुक जाते हैं

एक औरत रोते हुए तेजी से भागती है,

अपने साड़ी को सम्भालते हुए

मैं कागज फाड़ कर फेंक देता हूँ 



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