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Shubham Rawat

Abstract Others

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Shubham Rawat

Abstract Others

सवाल

सवाल

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कभी खुद को अकेला पाया है तुमने?

मैंने पाया है, खुद को अकेला, अपनों के बीच

वो पल पल हो रही बातों में

वो साथ बैठ कर खाने में

वो सुबह की चाय में

ऐसा क्यों होता हैं?

क्या इसकी कोई वजह है?

या हर कोई साथ होकर भी अकेला है?


मैं अनजान लोगों से मिलने लगा हूँ

मैं अनजान लोगों से बातें करने लगा हूँ

जैसे कभी; मुझसे एक अनजान ने बातें करी थी

मैं बात बात पर मुस्कुराता हूँ

जैसे, नन्हा सा कोई बच्चा

मैं बात बात पर चिड़ सा जाता हूँ 

जैसे, मुझमें मेरा मैं

मैं हूँ तो एक इंसान 

इंसान कौन होता है?

इस सवाल का जवाब ढूंढ रहा हूँ 


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