हवा
हवा
जब हवा चलती है
कुछ ज्यादा ही तेजी से
एक लड़का मेरे सामने से गुजरता है
उदास-उदास, खुश-खुश सा
मैं भी उसके पीछे-पीछे चलने लगता हूँ
कुछ दूर उसका पीछा करते-करते मैं
एक बन्द कमरे में पहुँच जाता हूँ
अचानक से कमरे में उजाला हो जाता है
वह कमरा फिर कमरा नहीं, बुग्याल सा नजर आता है
कुछ फिर दिन भी धीरे-धीरे अँधेरे की ओर बढ़ता है
तब दूर से मुझे वही लड़का आता दिखाई देता है
जब वह मेरे करीब पहुँचता है, तो मैं डर जाता हूँ
वह कोई और नहीं, खुद मैं होता हूँ
वह मुझसे सवाल करता है, "कौन है तू?"
