दो पेन
दो पेन


एक लड़की खुश-खुश, उदास-उदास सी
जब भी मेरे बगल में आकर बैठती है
मुझे उसके कलाई का वो बंधा काला धागा नजर आता है
जिसे वह एक बार फेरकर
मेरी तरफ देखती है
ना जाने ऐसा क्या है, उसके देखने में
मेरी धड़कने बड़ जाती हैं
मुझे याद आती है, एक गली
जिस गली के एक मकान में
एक खिड़की थी
जिसमें से एक चेहरा नजर आता था
वह चेहरा जो उदास-उदास था
मैं उससे पूछना चाहता था, "तुम उदास क्यों हो?"
तब वह खुश-खुश, उदास-उदास सी लड़की
मुझसे पूछती है, "दो पेन है क्या?"