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Shubham Rawat

Abstract

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Shubham Rawat

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अब और तब

अब और तब

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कोई समझने वाला ही नहीं हैं

अब सब रिश्ते झूठ से चल रहे हैं 

एक बचपन था


जब सब प्यार करते थे 

हम सबसे प्यार करते थे 

एक अब है 

किसी की ख़ुशी नहीं देखी जाती

हर पल दु:ख में रहने लगे हैं 


किसी से झगड़ा हो जाए तो

जिंदगी भर के लिए रुठ कर बैठ जाते हैं 

एक बचपन था


जब अगर किसी से रुठ जाए तो

खुद ही वापस बोल बैठते थे

और एक अब है 


तब कागज का ऐरोप्लेन

उड़ाकर खुशिया चूरा लेते थे

एक अब है 

हर पल उदास रहने लगे हैं।


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