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Dr Baman Chandra Dixit

Romance Inspirational

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Dr Baman Chandra Dixit

Romance Inspirational

उन गुज़रे लम्हों को

उन गुज़रे लम्हों को

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ये पल जो गुज़रे संग तेरे 

यादों में शामिल हो गये।

तुम्हें छोड़ अब मैं निकल चला

नम आंखों से गम बह गये।।


तुम इतने भी अच्छे नहीं थे

तुम्हें याद रखूं मैं उम्र तमाम

बुरे भी नहीं थे साथ तेरे

जो जीने का गुर सिखा गये।।


तेरे हर दर्द ज़िंदा आज भी है

हरे ज़ख्म से रिसते लहू

मगर चोट से बचने की कला

काल कोरोना के सिखा गये।।


अलविदा कहने को जी नहीं

रोक भी ना सकता तुम्हें

हूँ शुक्र गुज़ार उन लम्हों का मैं

जो तेरे खातिर नसीब हुए।।


ये पल जो गुज़रे संग तेरे,

यादों में शामिल हो गये।

तुम्हें छोड़ अब मैं निकल चला

नम आंखों से गम बह गये।।



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