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Bherusingh Chouhan

Abstract

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Bherusingh Chouhan

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लाख छुपाएं माखन मैया

लाख छुपाएं माखन मैया

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लाख छुपाएं माखन मैया

फिर भी खोज निकाले।

नन्हे नन्हे हाथ है उसके 

मटकी में वो डाले। ओ...ओ...


पूतना आई उसे मारने 

विष का दूध पिलाएं,

स्वयं काल का ग्रास बनी

और अपने प्राण गवाएं।


पार लगा दो सबकी नैया 

है जीवन तेरे हवाले। 

लाख छुपाएं .....।


कोई कहे चितचोर तुम्हें

और कोई माखन चोर ,

तू मन मोहक सबका प्यारा 

बृज का है सिरमौर।

तू छलिया है कृष्ण कन्हैया 

सबको अपना बना ले।

लाख छुपाएं....।


द्रोपदी ने जब तुम्हें पुकारा 

चले दौड़ कर आए ,

साड़ी का अंबार लगाकर 

और उसकी लाज बचाए।

हे गिरधारी कृष्ण मुरारी

तुम भक्तों के रखवाले।

लाख छुपाएं...।


नाग कालिया यमुना जी में

जब बड़ी जोर फुफकारे ,

कान्हा नाचे फन पर उसके

ओर सारा क्रोध उतारे।

छोड़ दें अब स्थान यहां का 

और अपने प्राण बचाले।

लाख छुपाएं


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