“ अपनी बाँहों में ले लो “
“ अपनी बाँहों में ले लो “
तड़पते रहे तेरे बिन मेरे साजन, अब तो तड़पना सुहाता नहीं है !
संग जो मेरे तुम रहते नहीं हो, मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
इतने दिनों के बाद मिले हो,
अब तुम छोड़ के जाना नहीं !
बाँहों में मुझको रखना सदा,
छोड़ के कभी फिर जाना नहीं !!
इतने दिन हम दूर रहे साजन, सुध मेरी कोई भी लेता नहीं है !
संग जो मेरे तुम रहते नहीं हो, मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
कहने को सब साथ हैं मेरे,
पर तेरी कमी मुझे खलती है !
रात -रात भर तारे गिनकर,
जिंदगी मेरी यूँ ही कटती है !!
अब ना रहेगी कमी कोई मुझ में, बिछुड़ना तुम्हारा सुहाता नहीं है !
संग जो मेरे तुम रहते नहीं हो, मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
रहूँगी सदा संग ही साजन,
मैं भी चलूँगी साथ तेरे !
जन्मों का बंधन मान लिया,
नहीं छोड़ूँगी ये हाथ तेरे !!
अब संग सदा मैं तुम्हारी रहूँगी, कोई दूसरा ख्याल आता नहीं है !
संग जो मेरे तुम रहते नहीं हो, मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!
तड़पते रहे तेरे बिन मेरे साजन, अब तो तड़पना सुहाता नहीं है !
संग जो मेरे तुम रहते नहीं हो, मुझको भला कुछ भाता नहीं है !!