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AVINASH KUMAR

Romance

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AVINASH KUMAR

Romance

कृष्ण का प्रेम

कृष्ण का प्रेम

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प्रेम बनकर मेरी राधे तुम बरसती रहो

मेरे मन मंदिर मे हमेशा तुम बसती रहो

तुम जो आई मेरी जिंदगी मे मुस्कान है

तुममे ही अटकी तो मेरी जान है

तुम अविरल बहते से एहसास हो

तुम ही तो मेरे जीवन की श्वॉस हो

तुम बिन मै एक अधूरी कहानी हूँ.

तुम ही मेरे हृदय की रवानी हो

प्रेम जो किया सच्चा तो तरसते रहो

प्रेम बनकर राधे तुम बरसते रहो

तुम जो मन तो मै मन की डोर प्रिए

तुमने ही तो मेरे मन को एक छोर दिए

मैं तो बंद बेजान पिजरे मे पड़ा था

खुद से खुद मै कई बार लड़ा था

तुमने ही मुझे ऐसा रूप दिया

मेरे अव्यवस्थित जीवन को स्वरुप दिया

इन शब्दो मे प्रेम बनकर राधे

तुम बरसते रहो.


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