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AVINASH KUMAR

Romance

4  

AVINASH KUMAR

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कृष्ण का प्रेम

कृष्ण का प्रेम

1 min
410



प्रेम बनकर मेरी राधे तुम बरसती रहो

मेरे मन मंदिर मे हमेशा तुम बसती रहो

तुम जो आई मेरी जिंदगी मे मुस्कान है

तुममे ही अटकी तो मेरी जान है

तुम अविरल बहते से एहसास हो

तुम ही तो मेरे जीवन की श्वॉस हो

तुम बिन मै एक अधूरी कहानी हूँ.

तुम ही मेरे हृदय की रवानी हो

प्रेम जो किया सच्चा तो तरसते रहो

प्रेम बनकर राधे तुम बरसते रहो

तुम जो मन तो मै मन की डोर प्रिए

तुमने ही तो मेरे मन को एक छोर दिए

मैं तो बंद बेजान पिजरे मे पड़ा था

खुद से खुद मै कई बार लड़ा था

तुमने ही मुझे ऐसा रूप दिया

मेरे अव्यवस्थित जीवन को स्वरुप दिया

इन शब्दो मे प्रेम बनकर राधे

तुम बरसते रहो.


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