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Vinod Nayak

Abstract

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Vinod Nayak

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चाँद सी रोटी

चाँद सी रोटी

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ये चाँद जमीं का है, तारे ये दिखाता है

नसीब से मिलता है, भूखा ही रुलाता है।


ये रोटी है जिसको, विश्व जानता है

ये रोटी की ताकत, विश्व मानता है।


आग पेट की जो पल भर में मिटाता है

चेहरे पर गरीबों की मुस्कान लौटाता है।

ये चाँद . . .।


दुनिया को जिंदगी भर मेहनत ये कराता है

कितने ही युग बदले पर ये न बदलता है।

ये चाँद . . .।


जाति हो धर्म कोई मजहब न जानता है

ईमान के हाथों में फूला न समाता है।

ये चाँद . . .।


इसका गुरुत्वाकर्षण भगवान मानता है

चारों दिशा में देखो इंसान दौड़ता है।

ये चाँद . . .। 


इतिहास इसका जानो तो शून्य ही मिलेगा

हर माँ के हाथ से ये नि:शुल्क ही मिलेगा।

ये चाँद . . .।


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