STORYMIRROR

Vinod Nayak

Drama

3  

Vinod Nayak

Drama

माँ

माँ

1 min
262

माँ स्वर्ग है 

हरती सब दर्द है 

धरती पर ईश्वर का रूप है 

बच्चों से कभी न दूर है,


आसमाँ का सूरज है

समुद्र का मोती है 

माँ स्वर्ग है

हरती सब दर्द है। 


फूल सी खिलती है,

हर सुबह नदी सी दौड़ती है

दिन भर 

दीप सी जलती है हर शाम,


चाँदनी देकर सुला देती हर रात

माँ गीत है, हृदय का संगीत है 

माँ स्वर्ग है, हरती सब दर्द है।


माँ पेट में नही, दिल में पालती है 

माँ नजरों में नही, धडकनों में रखती है

माँ दूध नही, अमृत पिलाती है,


आशीष में गंगा की, लहरें बहाती है

माँ तीनो लोक है, विश्व का अलोक है 

माँ स्वर्ग है, हरती सब दर्द है। 


माँ गीता का श्लोक है, 

संस्कार की पाठशाला है 

मंदिर की मूर्त में,

बैठी कोई आशा है

पग-पग पर खड़े,


पेड़ों की ठण्डी छाया है 

जीवन के संघर्ष में,

सब कुछ मिटा डाला है

माँ तोड़ती हर दंश है,

माँ यश का मंत्र है,

माँ स्वर्ग है, हरती सब दर्द है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama