माँ
माँ
माँ स्वर्ग है
हरती सब दर्द है
धरती पर ईश्वर का रूप है
बच्चों से कभी न दूर है,
आसमाँ का सूरज है
समुद्र का मोती है
माँ स्वर्ग है
हरती सब दर्द है।
फूल सी खिलती है,
हर सुबह नदी सी दौड़ती है
दिन भर
दीप सी जलती है हर शाम,
चाँदनी देकर सुला देती हर रात
माँ गीत है, हृदय का संगीत है
माँ स्वर्ग है, हरती सब दर्द है।
माँ पेट में नही, दिल में पालती है
माँ नजरों में नही, धडकनों में रखती है
माँ दूध नही, अमृत पिलाती है,
आशीष में गंगा की, लहरें बहाती है
माँ तीनो लोक है, विश्व का अलोक है
माँ स्वर्ग है, हरती सब दर्द है।
माँ गीता का श्लोक है,
संस्कार की पाठशाला है
मंदिर की मूर्त में,
बैठी कोई आशा है
पग-पग पर खड़े,
पेड़ों की ठण्डी छाया है
जीवन के संघर्ष में,
सब कुछ मिटा डाला है
माँ तोड़ती हर दंश है,
माँ यश का मंत्र है,
माँ स्वर्ग है, हरती सब दर्द है।