STORYMIRROR

Vivek Agarwal

Romance

4  

Vivek Agarwal

Romance

ग़ज़ल - दिन रात मुझे याद यूँ आया न करो तुम

ग़ज़ल - दिन रात मुझे याद यूँ आया न करो तुम

1 min
428

दिन रात मुझे याद यूँ आया न करो तुम।

हर वक़्त यूँ तड़पा के सताया न करो तुम।


दिन भर तो मुझे नींद नहीं होती मयस्सर,

आ ख्वाब में हर रात जगाया न करो तुम।


इक वक़्त था मुस्कान हमेशा थी लबों पर,

वो वक़्त मुझे याद दिलाया न करो तुम।


ताज़ा हैं अभी तक ये मेरे घाव जिगर पर,

जख्मों पे नमक मिर्च लगाया न करो तुम।


लगता है तेरे दिल में कहीं कुछ तो बचा है,

जो भी है दिल में वो छुपाया न करो तुम।


इस वक़्त से बढ़कर है नहीं कुछ भी यहाँ पर,

बेकार की बातों में गँवाया न करो तुम।


माना कि तेरे दिल में नहीं इश्क़ मेरा अब,

अपना जो कभी था वो पराया न करो तुम।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance