*चले आओ चले आओ*
*चले आओ चले आओ*
गज़ब की उफ़ उलझन है चले आओ चले आओ
नही कहना के अड़चन है चले आओ चले आओ।
कहीं छूटा मेरा बचपन ,जवानी मुस्कुराती है
सजाएं बैठे अंजुमन हैं चले आओ चले आओ।
तेरे ख्यालो की धुन में गूँज उठी शहनाई तन-मन में
बंधा कैसा ये बंधन है चले आओ चले आओ।
हजारो आह हसरते की तलाश मेरी तू निकली है
न कहना तू के चिलमन है चले आओ चले आओ।
यूँ ही उलझा रही मुझको कश्मकश ये अंदर से
मेरी चाहत में तड़पन है चले आओ चले आओ।
यकीं तेरे लौट आने का "नीतू" मौसम सुहाना है
तेरी खुशबू मेरा मन है चले आओ चले आओ।
नही होते बयां जज़्बात कुछ तो ऐसे होते है
बड़ी बेचैन धड़कन है चले आओ चले आओ।