आँखमिचौली, चोर-सिपाही, हम करते थे, हर खेल चयन । क्या मजे थे गिल्ली-डंडे में, मुट्ठी में कैद संपूर... आँखमिचौली, चोर-सिपाही, हम करते थे, हर खेल चयन । क्या मजे थे गिल्ली-डंडे में, ...
मैं पहले जिंदगी के अल्हड़पन से टूट जाया करता था, लेकिन कुछ पल में ही वह मुझे खुश रहना सिखा गई... मैं पहले जिंदगी के अल्हड़पन से टूट जाया करता था, लेकिन कुछ पल में ही वह मुझे खुश ...
मन-मस्तिष्क उन्मुक्त उड़ना चाहता है आकाश में मन-मस्तिष्क उन्मुक्त उड़ना चाहता है आकाश में
बिन सोचे सब कहने वाली, भोलेपन की हर नादानी, बिन सोचे सब कहने वाली, भोलेपन की हर नादानी,
अल्हड़पन के कितने किस्से भूल गया हूँ पर अपनी कुछ करामातें याद है कुछ बातें याद है अल्हड़पन के कितने किस्से भूल गया हूँ पर अपनी कुछ करामातें याद है कुछ बाते...