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Supriya Singh

Abstract Others

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Supriya Singh

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बचपन की यादें

बचपन की यादें

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बीता बचपन आयी जवानी, बचपन की सब याद पुरानी,

क्या गुड्डे, क्या गुड़िया रानी, परियों के वो क़िस्से कहानी,

भूल जा ये सब बातें पुरानी, गया बचपना आयी जवानी...


याद बहुत आते हैं मुझको, भूलूँ कैसे बातें पुरानी,

खेल-खिलौने घोड़े-हाथी, बन्दर, भालू बिल्ली रानी,

जादूगर, राजा और रानी, भाती थीं जो बहुत कहानी,

बीता बचपन आयी जवानी....


बिन सोचे सब कहने वाली, भोलेपन की हर नादानी,

क्या होगा से जो अनजानी, अल्हड़पन की वो शैतानी,

हँसी में सब थीं बातें उड़ानी,

बीता बचपन आयी जवानी....


सखी-सहेलियों की वो निशानी, बातें जो होती थीं जुबानी,

कुछ अनकही, कुछ थीं अनजानी, दिल से जुबां पर कभी न आनी,

उनकी न थीं याद भुलानी,

बीता बचपन आयी जवानी....


भूली बिसरीं बचपन की कहानी, वक्त गये न वापस आनी,

दिल की बस एक बात बतानी, जवानी अपनी थी लौटानी,

बदले में दे दे कोई बचपन....

काश लौटा दे कोई बचपन.....



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