स्वतंत्रता और शहीद....
स्वतंत्रता और शहीद....
तिलक माथे लगा सीने पे गोली
जिसने खाई थी,
बांध सर पे कफ़न कितनों ने अपनी
जां गंवाई थी,
वो जनता थी बड़ी भोली जो
अंग्रेजों की सताई थी,
वो शासन था ब्रिटिश जिसने
कयामत हम पे ढाई थी,
भला हो देश के जांबाज, बहादुर,
वीर सपूतों का....
जिन्होंने जान अपनी देश के
ख़ातिर गंवाई थी,
शहीदों की शहादत आज
फ़िर से याद आई है...
वो गाँधी थे बने आँधी
अंहिसा लौ जलाई थी,
शिवाजी, बोस, आजाद,
भगत ने की लड़ाई थी,
पाल, लाल, बाल, मंगल पांडे ने
अपनी जान गंवाई थी,
रानी झाँसी
, कस्तूरबा ने
कभी न हार मानी थी,
लोहा लेने को जुल्मियों से
मातृ शक्ति ने ठानी थीं,
बच्चे-बूढ़े, युवाओं ने भी
हँस के जाँ लुटाई थी,
सभी धर्मों के लोगों ने
आज़ादी की लौ जलाई थी,
करोड़ों बेकसूरों ने
देश हित जान लुटाई थी,
तब कहीं जाके भारत ने
आज़ादी अपनी पाई थी,
इस आज़ादी को न अपनी
दुबारा तुम खोने देना,
यही अरमान है रहे देश का
आबाद हर कोना...
रहें सब एक होकर के न हो
मन क्लेश की भावना....
बने खुशहाल देश अपना
न सूना हो कोई अँगना...