नारी शक्ति
नारी शक्ति
अस्त्र उठाना जानती है
शस्त्र चलाना भी जानती है
इतिहास के पन्ने को पलट कर देख
दुश्मनों को उनके अंजाम पे पहुँचाती है,
साजो-श्रृंगार में सज
अपने रूप को सँवारती है
मुख पे तेज़ प्रबल रख
मान -सम्मान और मर्यादा का अर्थ भी समझाती है,
रिश्तों की गरिमा और समर्पण को
सिर -आँखों पे रखती है
इसे कठपुलती गुड़िया ना समझ
ये वो है जो अँगारों पे भी चलती है,
इतिहास के पन्नों को भी पलट कर देख
नारी के अस्तित्व की शक्ति समझ आएगी
ये शक्ति खुद वो सर्वशक्ति है
जो सम्मान के लिए जौहर कर जाएँगी,
जिस ओढ़नी से सिर को ढकती है
उसके मान को भी खूब समझती है
स्वाभिमान को अपने साथ लेके
खुद के उज्ज्वल भविष्य को भी चुनती है।