Alisha Haidri

Abstract Romance Classics

4.8  

Alisha Haidri

Abstract Romance Classics

तब्दीली (changes)

तब्दीली (changes)

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मैं जल रही हूं पिघल रही हूं,

नये सांचे में ढल रही हूं।


बदलना मै ज़माने को चाहती थी

 मगर अब ख़ुद को ही मैं बदल रही हूं।


ना जानती थी पहले कि दर्द क्या होता है,

अब दर्द भरे दौर से मै ख़ुद गुज़र रही हूं।


सोचती थी आज़ाद हूं, आज़ाद रहूंगी,

ये सोच भी अब मै अपनी बदल रही हूं।


तेरे इश्क़ पे तो है यकीं मुझे ऐ दिल,

मगर ख़ुद अपने आप से ही अब मै डर रही हूं।


है अंधेरा बहुत इस दिले नातवां में

तेरी यादों की शमा से इसे रौशन मै कर रही हूं।


मैं जल रही हूं पिघल रही हूं,

नये सांचे में ढल रही हूं।


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