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Abha Chauhan

Classics Inspirational

4.6  

Abha Chauhan

Classics Inspirational

शहीदों को याद रखो

शहीदों को याद रखो

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आसमान भी रोया था,

 धरती भी धर्रायी थी।

किसी को मालूम ना था यारो ,

 किस घड़ी मौत यह आई थी।


 मां का एक टक चेहरा था,

 आंखों में बहते आंसू थे।

पुत्र थे उनके शहीद हुए,

जो मातृभूमि के नाते थे।


पत्नी का चीखना चिल्लाना,

 सीने में तीर चुभाता था।

एकमात्र सहारा था उनका,

वह भारत मां का बेटा था।


बेटे की सर से हाथ गया,

चलना वे जिन से सीखा था।

कंधों का भी अब राज गया,

वह बैठ जहां जब देखा था।


मां की सूनी गोद हुई,

पत्नी का भी सिंदूर गया।

पिता के दिल में आह उठी,

पुत्र का हाथ भी छूट गया।


गर्व है इन परिवारों को,

अपनी उन संतानों पर।

मातृभूमि के चरणों में,

किए गए बलिदानों पर।


अभी तुम क्यों बैठे हो,

बदला ले लो उन गद्दारों से।

अगर देश प्रेम बाकी हो,

सर बिछा दो तलवारों से।


बदला ले लो उस बार का तुम,

उन वीरों का सम्मान करो।

शहीदों के बलिदानों को,

प्रतिदिन तुम याद रखो।


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