खुद से बगावत
खुद से बगावत
"गम" के साए में देख "उनको",
अपनी खुशियों को भी छुपाता था,
और खुशियों में उनकी, "गम"
अपने भूल जाता था।
फिर क्यों ऐसा होने लगा...
मन की बात, जुबां पर रुकने लगी,
खुद से ही मैं खफा होने लगा।
अपनों से क्या स्वयं से दूरियां बढ़ने लगी
अपनों को सपनों को भूलने लगा।
खुद से बगावत ही समझिए,
तभी तो रोजाना खर्च हो रहा हूं थोड़ा थोड़ा।