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Praveen Gola

Classics Inspirational

4  

Praveen Gola

Classics Inspirational

ख़ुशबू बरसात की

ख़ुशबू बरसात की

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बूँदों की टपकन में बसती ख़ुशबू बरसात की,

जैसे मन को छू जाए वो सौम्य हवा रात की।


गहरी धरती सुनहरी हरियाली से सजती,

प्रेम भरे गीतों से बरसात में आवाज़ धड़कती।


ख़ुशियों के घरानों की बगियाँ जगमगाती,

जीवन में नई उमंगें धीरे - धीरे से ले आती।


बादलों के साथ सवारी चंद्रमा की बनकर,

चाँदनी रातों को सजाती दुपट्टे से छन - छनकर।


सृष्टि की छाँव बिखराती ज़मीन पे बरसात की,

अंधियारे से जग को छुपाती चांदनी बरसात की।


आँचल में समेटी छुपी हुई सपनों की छाँव,

रंगीन बनाती है बरसात की फुहार कितने गाँव।


उड़ जाती है चिंगारी सी बिजली की लहरें,

धरती को नई सिंचाई देती बरसात की फुहारें।


जीवन को देती नयी उमंग बरसात की धारा,

हर कदम पर है नई जीत जब चमकता तारा।


स्वर्ग से आई सजावट धरती पर बरसात की,

आत्मा को छू जाती ताजी महक बरसात की।


बारिश के गीत गाते भावों की संगीता,

मन को भर देते भाव नवभारत के प्रीता।


यही संसार की है सबसे बड़ी ख़ुशी ,

धरती को सजाती जब बरसात की छींटाकशी।


आओ, इस बरसात के मौसम में बैठ कर,

कहें दिल की बात बरसात की गीली मिट्टी से।


खो जाएं हम इस बरसात की धुन में,

रस भरे लबों से गायें गीत बरसात की मिट्टी में।


धरा की गोदी संवारती वन रूपी चंचल आंचल,

प्रकृति बनी है सजावटी रानी देखो बरसात की।


सुनहरी धूप और छाँव का मिलन जब करे इशारा,

ख़्वाबों की मस्ती से हर प्रियतम ने अपना प्रिय पुकारा।

 

आओ, इस मौसम में अपनी रचना सजायें,

नये - नये शब्दों से बरसात की मधुरता में खो जायें।


मुस्कुरायें या रोयें परंतु बरसात है अनमोल,

ख़ुद को खो बैठे लगे सब ये दुनिया गोल।


बूँदों की टपकन में बसती ख़ुशबू बरसात की,

जैसे मन को छू जाए वो सौम्य हवा रात की।


आँचल में समेट छुपी हुई देखो सपनों की छाँव,

रंगीन बनाती है धरा को बरसात के फुहारों की नाव।


उड़ जाती है चिंगारी सी बिजली की लहरें,

धरती को नई ऊँचाई देती है उफनती नदियों की सहरें।


भीग जाती जब हर तरंग कवि के नये ख्याल की,

जीवन को जब जब मिलती नई उमंग बरसात की।।


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