मौन मन की गूँज है
मौन मन की गूँज है
वह शब्द है, निः शब्द है, मन का अंतः निनाद है;
प्राण है, प्रारब्ध है, जागृति का शंखनाद है।
देवत्व का प्रमाण है, स्वयं सृष्टि महान है;
पूजा की थाल है, यज्ञ का हुमाद है।
शीतल है, आग है, प्रखर दीपक-राग है;
कल्लोलिनी प्रवाह है, तड़ित ऊर्जा उत्साह है।
प्रेम ही प्रकृति है, संग क्रीड़ा प्रमाद है;
सौंदर्य अभिव्यक्ति है, सृजन काम-आह्लाद है।
देती वह जन्म है, जग पालना ही धर्म है;
साम-दाम, दंड-भेद, करती हर कर्म है।
आदि है, आज है, भूत-भव का अंतराल है;
भुवन की रंग-साज है, हृदय सिंधु विशाल है।
जीवन एक उत्सव है, जब भी वह संग है;
हँसी में खनकती, संगीतमय मृदंग है।
श्रद्धा है, स्नेह है, ममत्व प्रेमकुंज है;
मौन मन की गूँज है, जीवन की शक्तिपुँज है।