STORYMIRROR

Sarita Gupta

Drama

4  

Sarita Gupta

Drama

मिट्टी के रंग

मिट्टी के रंग

1 min
1.0K

मिट्टी की कोख में नन्हा - सा बीज जाता है,

फूलता- फलता है,विशाल वृक्ष बन जाता है।


यही वनस्पति बस रूप बदल लेती है,

अन्न माँस दूध से सबको पोषण देती है।


फूल तितली मछली सब मिट्टी के ही रंग हैं,

कंचन-सी काया यह, मिट्टी का ही अंग है।


बनता है मिट्टी से,मिट्टी से ही बढ़ता है,

सब मिट्टी का हिस्सा,मिट्टी का किस्सा है।


कौन किसका वंश-कुल,सब इसी के अंश हैं,

दंभ किस बात का,जब सबका यही अंत है।


माटी का ऋण यहीं हर कोई लौटाता है,

मिट्टी से जो लिया,पुनः मिट्टी हो जाता है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama