आसमान के माथे पर
आसमान के माथे पर
संभाव्य-संकल्प का, तू देने प्रमाण चल,
माटी से उठकर अब भरने उड़ान चल,
हौसलों के दम पर,जीतने अभिमान चल,
विश्वास की सीढ़ी लिए, चढ़ने आसमान चल।
ऊंचाइयों को नापने, माटी के लाल चल,
नभ का अहम तोड़ने,ऐ नन्हे स्वाभिमान चल,
स्वयं को सिद्ध करने,स्वनिर्मित इंसान चल,
देने अपनी पहुँच का, फिर से इम्तिहान चल।
आसमान के माथे पर, तू लिखने तकदीर चल,
निगाहों में उसकी आँकने, तूअपनी तस्वीर चल,
तोड़ कर सीमाओं की सब साँकल-जंजीर चल,
पौरुष को परिभाषित करने, प्रेमी,योगवीर चल।