आओ हम सब धरा बचायें
आओ हम सब धरा बचायें
आओ हम सब मिलकर,
धरती माँ को फिर सजायें।
इस धरा को वृक्षों से सजायें,
लता, फल, फूल, वृक्षों से।
नित्य सजी रहें यह धरती,
धन्य-धान्य व खनिजों से,
परिपूर्ण रहे यह धरती।
जन-जन का नित्य कल्याण करें यह धरती,
नित्य प्राणियों को जीवन दान करें यह धरती।
पर्वत नदियों से नित्य सदा सजी रहे,
चिर अनंत काल तक यूँ ही यह धरती।
सदा पंछी करते रहे कलरव,
निश दिन प्रकृति का करें गुणगान।
मस्ती में यूँ ही झूमे कलियाँ तमाम,
नदियाँ कल-कल बहती रहें सदा।
ना हो कभी “जल” का अभाव कदा,
यही हमारी कामना है सर्वदा।
आओ हम सब मिलकर पेड़ लगायें,
अपने-अपने जन्मदिन पर, “वृक्षारोपण” उत्सव मनाये।
कटने ना दे हम जीते जी एक भी तरु,
यें हैं प्रकृति के अनमोल रत्न “प्रभु”।
आओ हम सब मिलकर,
फिर से धरती माँ को।
पुनः पुनः सजायें,
धरती को फिर से स्वर्ग बनायें।
