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Sudhir Badola

Abstract

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Sudhir Badola

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मित्र, तू ही मेरा संसार है

मित्र, तू ही मेरा संसार है

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मन में जब अंधेरे हों

बेचैनी ने घेरे हों

बस तू एक तलबगार है

मित्र, तू ही मेरा संसार है।


तेरे आने से ख़ुशी होती है

चेहरे पे मेरे हँसी होती है

साथ है तू जब वही दिन इतवार है

मित्र, तू ही मेरा संसार है।


आई कभी विपत्ति की घड़ी

जब कोई अड़चन पड़ी

संग खड़ा तू हर बार है

मित्र, तू ही मेरा संसार है।


तूने रुतबा ना ओहदा देखा

मेरी ख़ातिर लांघी हर रेखा

हर रूप में मिला मुझे तुझसे सत्कार है

मित्र, तू ही मेरा संसार है।


दिल को एक सुकून मिला

एक अरसे बाद जब तू मिला

मैं सुदामा तू कृष्ण का साक्षात्कार है

मित्र, तू ही मेरा संसार है।


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