आचमन से.....
आचमन से.....
ईश्वर तो अनुभूति है,
देखो करके ध्यान।
पाते उसका ध्यान तो,
मिट जाता अभिमान।।
अहम भाव जब गल गया,
वहा प्रेम का नीर।
कलुष भाव सब घुल गये,
उजल गई तस्वीर।।
कोष उम्र का घट रहा,
बढ़ती भोगों की चाह।
जा रपटन में जो गिरे,
मिली न उसकी थाह।।
मिलना उसका ही सफल,
मिलै खोल दिल द्वार।
प्रेम पिपासा से मिला,
उसे प्रेम का सार।।
ईश्वर मेरे संग है,
मैं ईश्वर के संग।
ऐसे जिनके भाव है,
तप उनके कब भंग?
