Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Satyendra Gupta

Classics

4.5  

Satyendra Gupta

Classics

अहंकार

अहंकार

2 mins
385



बात है एक बार की

है किसी की अहंकार की

भगवान कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की

गरुड़ और सुदर्शन चक्र की

जब था तीनों को अहंकार अपने अपने गुणों की।


पूछतीं है सत्यभामा श्री कृष्ण से 

जब थे आप श्री राम रूप में, सीता क्या सुंदर थी मुझसे

पूछता है सुदर्शन चक्र श्री कृष्ण से

 क्या कोई और शस्त्र शक्तिशाली है मुझसे

पूछता है गरुड़ श्री कृष्ण से

क्या कोई और प्राणी ज्यादा तेज उड़ सकता है मुझसे

श्री कृष्ण समझ गए अहंकार हो गया इनको

जरूरत है अहंकार से बाहर लाना इनको।


दिया आज्ञा गरुड़ को श्री कृष्ण ने

जाओ हनुमान को बुला लाओ

कहना तुम्हारे राम का बुलावा आया है

कहा सत्यभामा को तुम बन जाओ सीता और मैं राम 

चक्र को दिया आदेश , कोई अंदर ना आने पाए 

यही तुम्हारा काम,


गरुड़ गया शीघ्र हनुमान के पास, कहा बैठो मेरे पीठ पे

श्री राम का बुलावा है , जल्द ही पहुंच जायेंगे

हनुमान ने कहा , तुम चलो मैं आता हूं

गरुड़ के पहुंचने से पहले हनुमान पहुंच जाते है

गरुड़ का ये अहंकार चूर चूर हो जाते है

पूछा श्रीराम ने कोई रोका नहीं द्वार पे

हनुमान सुदर्शन चक्र को मुंह से निकालते हैं

यह देख सुदर्शन चक्र चकरा जाता है

सुदर्शन चक्र का अहंकार चूर चूर हो जाता है

पूछा हनुमान ने श्री कृष्ण से 

सीता माता थी कितनी सुंदर , ये किनको बैठाया है

ये सुनकर सत्यभामा का अहंकार चूर चूर हो पाया है

समझ गए सभी ये श्री कृष्ण की लीला है

जब अहंकार चूर चूर हो सकते है इनके

तो इंसानों को भी क्या अहंकार रह पाया है

तो इंसानों को भी क्या अहंकार रह पाया है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics