बंदगी को भूल गया
बंदगी को भूल गया
दूर होकर कमी को भूल गया
जैसे मैं बंदगी को भूल गया
हर कोई जब मुझी को भूल गया
फिर मैं भी हर किसी को भूल गया
इतने दिन बाद जो तु आया है
मैं तो तेरी हंसी को भूल गया
रोशनी लानी थी मुझे घर में
और मैं रोशनी को भूल गया
याद से याद थी वो इक पागल
याद से मैं किसी को भूल गया
जो बुरे थे वो सब तो याद रहे
जो भले थे सभी को भूल गया
ये वही रास्ता है ना वो जो...
छोड़ो मैं उस गली को भूल गया
मैं तेरे हाथ देखता ही रहा
हाथ देखा घड़ी को भूल गया।

