आसरा
आसरा
लेता हूॅं क्यू आसरा मैं
हरदमही जानम तुम्हारा
सारा जमाना कहने लगा है
मैं हूॅं गुलाम तुम्हारा
लेता हूॅं क्यू आसरा मैं
हरदमही जानम तुम्हारा
होती नही तुम गुस्सा कभी
कभी रुठती नही हो तुम
करती हो चुपचाप काम तेरा
कभी ऐठती नही हो तुम
करती हो मुक्त तनावसे
लगता है जिऊँगा जिंदगी में दोबारा !
लेता हूॅं क्यूँ आसरा मैं
हरदम ही जानम तुम्हारा
ना कोई तेरा रिश्ता मुझसे
ना कोई है तेरा नाता
अपना लू मैं जब चाहे तुझे
छोड दू मैं आधा रस्ता
नाराज ना होती कभी तू
निभाती है हरदम तू वास्ता
लेता हूॅं इसलिये मैं जानम
हरदमही आसरा तुम्हारा !