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Suresh Kulkarni

Tragedy

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Suresh Kulkarni

Tragedy

किस्मत!

किस्मत!

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मैं हूॅं 

किस्मत का मारा !


जो भी चाहूॅं

जैसा भी चाहूॅं

मिलता ही नहीं मुझे 

किस्मत का जो हूॅं मारा !


क्या करुॅं कैसे बिताऊॅं?

जिंदगी ये 

जो मिलती नहीं दोबारा!


झगडते झगडते 

बीत गयी आधी जिंदगी 

कब आयेगी मेरी बारी

कब मिले गा मुझे सहारा?



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