Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sudha Singh 'vyaghr'

Tragedy

4.2  

Sudha Singh 'vyaghr'

Tragedy

"आ" की मात्रा

"आ" की मात्रा

2 mins
6.1K


तुम्हें खुशी से

झूमते हुए देखा था मैंने,

उस दिन "आ" की मात्रा

का असर देखा था मैंने।


मेरा सहोदर, तुम्हारे

जीवन में आया था जब,

तुम्हारी आँखों से,

निर्झरणी बहती रही।

तुम्हारी व‍ह खुशी,

हमें भी खुश करती रही,

होठों की लंबाई भी तो

दोगुनी हो गई थी।


गाँव शहर कुछ छूटा न था

बिन ~मीठा मुँह

कोई लौटा न था।

उस "आ" की मात्रा के

समकक्ष कोई दूजा न था।

सोहर, ढोल, नगाड़ों से

कौन सा समा गूंजा न था।


रोज की मारपीट, कलह तब

कुछ दिनों के लिए थमी थी,

इसके पहले भी तो घर में

कितनी ही बार

किलकारियाँ गूंजी थी।

पर वो किलकारियाँ,

तुम्हें कभी नहीं भाती थी,

अपितु तुम्हारे चेहरे को

जब तब उदास कर जाती थी।


तुम्हारे सिर का दर्द

और बढ़ा जाती थी,

"आ" की मात्रा

"ई" की मात्रा

से ज्यादा वजनदार होती है।

तब नहीं समझ आती थी

यह बात।

माँ के आँसुओं का कारण थे तुम

और तुम्हारी पुरुषवादी सोच।


मुझे याद नहीं आता

तुम्हारा चेहरा अच्छे से,

तुमसे सिर उठाकर

कभी बात नहीं की न।

तुम्हारी गोद से कब उतरी

यह भी नहीं पता,

गोद में कभी खेली भी थी

इसका भी इल्म नहीं मुझे।


तुम्हारा ख़ौफ़, तुम्हारा डर

बरकरार है आज भी,

और शायद बरकरार है

व‍ह नफरत भी,

जिसका बीज तुमने बोया था।

घुटन होती है

तुम्हारी घृणित सोच से,

जो स्त्री को मात्र एक दासी या

केवल माँस का

एक लोथड़ा समझता है।


नहीं हो तुम

मेरे जीवन का हिस्सा

और मुबारक हो तुम्हें ही

तुम्हारी "आ"की मात्रा।।


Rate this content
Log in