एक गरीब को छुपते छुपाते देखा मैंने
एक गरीब को छुपते छुपाते देखा मैंने
एक गरीब को छुपते छुपाते देखा मैंने!
लेकर सौ रुपए ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !!
घर की हालत ठीक नहीं
छत से पानी टपकते देखा मैंने।
भाई का हाथ था हाथो में
उसको दुनिया से जाते देखा मैंने!
एक बीमारी से तड़फ रही माँ मेरी
स्वम डॉक्टर बनते देखा मैंन !!
लेकर सौ रुपए ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !
ममता घुट रही मेरे घर की
एक एक कर जाते देखा मैंने !!
चन्द पैसे लिए ब्याज पर
उन्हें चुकाते चुकाते देखा मैंने !!
एक गरीब को छुपते छुपाते देखा मैंने !
बचपन भी बड़ा अमीर था मेरा
ना पैसे की चिंता ना बीमारी का डेरा!
हर एक को खुद से प्यार करते
देखा मैंने !!
गरीबी मेे बड़े अमीर थे हम!
रूखी सूखी खाकर भी खुश नसीब थे हम!!
मेरे आंगन में बच्चो का डेरा देखा मैंने !
सब के साथ बैठ कर
फिर शक्तिमान देखा मैंने !!
मेरा आंगन बिखर गया!
दोस्तो का मेला उजड़ गया!!
जो अपने कहते थे हम अपने है
उन सब को एक एक कर जाते देखा मैंने !!
मात: पिता को खुशी से गुनगुनाते देखा मैंने !
लेकर सौ रुपए ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !!
पिता के मरने पर भाई को
छुपते छुपाते रोते देखा मैंने !
बहन को पिता के लिए
रो रो कर मरते देखा मैंने !!
गरीबी में जिया मेरा घर
गरीबी में मरते देखा मैंने !
चन्द पैसे नहीं दवाई के
दूसरो के हाथ जोड़ते देखा मैंने !!
लेकर सौ रुपए ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !!
कच्चा मेरा घर तूफान आते देखा मैंने !
पाई पाई जोड़ी मात पिता ने
तिनके की तरह उस को गिरते गिराते देखा मैंने !!
मित्रो का साथ कुछ दिन ही साथ देखा मैंने !
एक पल में मित्रता टूट गई
जब गरीबी को देखा मैंने !!
मा के आंशु पल पल निकले
दवा दुवा काम ना आई कोई!
हमे भोजन मिला हर शाम
लेकिन मेरी मा भूखी ही सोई!!
किसी चिंता मेे मा को
तड़फते बिखरते देखा मैंने !
लेकर सौ रुपए ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !!
वो दिन भी बड़ा अजीब था!
दिया जिस दिन जन्म मा ने
वो मेरा नसीब था!!
दुर्भाग्य था वो दिन मेरी मा पर भारी हुआ
रुक रुक मा की सांस आती रही!
अंत समय में भी माँ के मुख से
बच्चो की आवाज आती रही!!
जो पृथ्वी से भी भारी थी!
एक बीमारी के कारण टूटी खाट पर
पड़ी मेरी मा सबसे प्यारी थी!!
फिर मा को दुनिया से जाते देखा मैंने !
एक गरीब को छुपते छुपाते देखा मैंने !!
लेकर सौ रुपए ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !
इस पैसे वाली दुनिया में
गरीब को मरते मराते देखा मैंने !
बहन की राखी भाई का प्यार
दुनिया से जाते देखा मैंने !!
बिन वर्षा के बादल गरजते देखा मैंने !
पिता को मरते मा को तड़फते
खुद को रोते रुलाते देखा मैंने !
मा की हर चीज रखी बड़ी सम्भालकर रखी
उन में से खुशबू को आते देखा मैंने !!
पिता का कुर्ता भी याद है !
उस को अपने बदन पर डाल कर देखा मैंने !!
बहन की एक एक राखी बांधी मैंने आज
जो संभाली थी अपनी किताब में!
देख बंधी हाथ में राखी
आंसू से किताब भिगोते देखा मैंने !!
एक गरीब को छुपते छुपाते
देखा मैंने !
लेकर सौ रुपय ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !!
मैं भी कब तक रहूंगा
अमीर दुनिया में गरीब बन कर!
गरीबों पर हँसते हँसाते देख मने
अब नहीं आंखे पहचान पाती किसी को!
कौन पास खड़ा वो भी नही देखा मैंने !!
आवाज़ लगा कर बोलता कोई
उस को पहचानते देखा मैंने !!
अब तो काल चक्र के चक्कर में!
उम्र को पिसते देखा मैंने !!
खुद को लड़ते बचते
बीमारी के जाल में फंसते देखा मैंने !
एक गरीब को छुपते छुपाते देखा मैंने !
लेकर सौ रुपए ब्याज पर
रोते रुलाते देखा मैंने !!
ईश्वर की भक्ति गरीब की दुआ
कभी व्यर्थ नहीं जाती!!
