मेरा पहला साक्षात्कार : व्यंग्
मेरा पहला साक्षात्कार : व्यंग्
सरकारी नौकरी के प्रथम साक्षात्कार का भय मुझे अंदर से भयभीत और कमजोर सा कर रहा था। किस प्रकार के प्रश्नों से सामना होगा? अकस्मात
सामने से आता हुआ दिखा हमारे अपने ही गांव का एक गरीब, वरिष्ठ बेरोजगार। जिसने दर्जनों सरकारी-गैर सरकारी साक्षात्कारों को सहा है। मेरे विनम्र अनुरोध पर वह अपने जीवन के अनुभव से मुझे समझाते हुए कहता है।
सिर्फ नाम के होते हैं, साक्षात्कार खाना पूर्ति मात्र, ढकोसला। सफल (पास) करना है, तो पूछेंगे, तुम्हारे पिता का नाम।
अन्यथा तो साक्षात्कार लेने वाला अपने दादा जी का नाम पूछेगा। मुसलमान से गायत्री मंत्र तथा। वैदिक धर्मावलंबियों से करवायेंगे, कुरआन के कलमों का उच्चारण। परीक्षकों की भी मजबूरी होती हैं सीटें तो इंटरव्यू से पहले ही पूरी होती हैं। कुछ आस पास की। कुछ सीटें बॉस की, विभाग के मंत्री का भी कोटा होता है। कई लोगों से पैसा पैसा भी ओटा होता है।।
मैं बीच में बात काटकर बोला.. समाचार पत्रों में विज्ञापन, लिखित परीक्षा। ये सब क्या सिर्फ दिखावा ही होता है। और फिर किस्मत, भी तो होती ही होगी?
एक लंबी सी सांस और आह भरकर वो बोले। विज्ञापन, लिखित परीक्षा, चिकित्सा- परीक्षा, इंटरव्यू ये सब तो औपचारिकता मात्र, हैं। वहाँ हमारे आपके जैसे निर्धन नहीं पैसों वाले धनाढ्य पात्र हैं।
और ..... हां, भाग्य का लाभ भी उन्हीं को मिलेगा जिनका जुगाड़ होगा। उनका तो चयन हो भी चुका होगा, साक्षात्कार से बहुत पहले ही।
उल्लेखनीय है कि 8 जून 2004 को एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होने जा रही थी। शुक्र ग्रह 122 साल के बाद सूर्य के पारगमन कर रहा था, बल्कि दोपहर से पहले कर ही गया था मेरा साक्षात्कार अपरान्ह तीन बजे था।....
मैं इंटरव्यू के लिए लंबी सी पंक्ति में अनुशासन में खड़ा था। उसी को मन ही मन दोहरा रहा था जो अब तक पढ़ा था।। अंततः चपरासी ने मेरे नाम पुकारा आगे बढ़ने का इशारा किया ।
मैंने जी सर, बोलकर हाथ उठाया। अपने को संयमित करते हुए , याद भी नहीं कितने इष्ट देवों को याद किया होगा। साक्षात्कार कक्ष में, अनुमति लेकर प्रवेश किया।
औपचारिकताएं निभाने के बाद, मैं सवालों को बिल्कुल तैयार था। परीक्षक के प्रथम प्रश्न।। मेरे पूछने लगे, हां तो आप बताइए..
शुक्र ग्रह सूर्य के पारगमन में कितने वर्षों बाद आ रहा है? प्रश्न एकदम सीधा एस और साफ था। अतः मेरा जवाब भी सपाट । मैंने बिना समय गंवाए कहा, सर शुक्र ग्रह 122 साल बाद आ रहा है।
परीक्षक ने चश्मे के ऊपर से मुझे घूरा तुनक कर , आवाज में तल्खी लाकर बोले? समाचार नहीं सुनते क्या? आप गलत बता रहे हो।
तिरस्कार से देखते हुए बोले जो 122 साल बाद आने वाला शुक्र था न, वो दोपहर से पहले ही पारगमन कर भी गया।
आपको पता है ? अब शुक्र केवल आठ साल बाद ही सूर्य के पारगमन में आने वाले हैं। ऐसा लगता है, आप तो बाप की मेहनत की कमाई को हवा में उड़ाने वाले हैं।
इससे पूर्व कि मैं अपना मुंह खोलता और कुछ बोलता। अधिकारी महोदय ने अंग्रेज़ी में 'नेक्स्ट' बोला। वापस आते हुए मैंने धराशायी अरमानों और कांपते हाथों से दरवाजा खोला।
यह मेरे जीवन का पहला साक्षात्कार था।। मैं असफल और बेकार था। हताश था मैं परंतु अधिकारी था मौज में। एक सदस्य और बढ़ गया था आज से बेरोजगारों की फौज में।
