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NARINDER SHUKLA

Tragedy

4.6  

NARINDER SHUKLA

Tragedy

चुनावी मेला

चुनावी मेला

3 mins
324


चुनावी मेले में नेता अपनी -अपनी कपैस्टी से चिल्ला रहे थे

रंग - बिरंगे वायदों से पब्लिक को लुभा रहे थे ।

पहले स्टॅाल के बाज़ू वाले नेता का स्वर ओज़स्वी था

प्रतिद्वंद्वी नेताओं के स्वरों को बड़ी ‘इज़ली‘ काट रहा था

आओ देश के नौवजवानों आओ

नौकरी का आश्वासन तुरंत पाओ ।

पिता जी , माता जी़ आप भी आइये -

वोट के बदले बुढ़ापा पेंशन कार्ड बिल्कल ‘फ्री ‘ पाइये ।

हे अन्न उगाने वालों , हमारे पास आपके लिये भी खजा़ना है -

आने वाले ‘पांच सालों ‘ में नदियों का पानी जोड़ दिया जाना है ।

इसलिये , हमें जिताओं , अपनी फसल का मुंह मांगा दाम पाओ ।

बहनों , भाभियों घबराओं नहीं , शर्माओ नहीं , तुम भी आगे आओ

हम आपके लिये भी कुछ लाये हैं , सोने के दाम घटाये हैं ।

फौरन, यहां ‘पीं‘ बजायें

एक सिल्क की साड़ी के साथ ,

दो लाख के हार का ‘कूपन‘ बिल्कुल मुफत पायें।

देश की अर्थव्यवस्था बनाने वाले व्यापारियों

हमने आपके लिये भी कुछ सोचा है

अगर , इस बार भी साथ दिया तो

तमाम ‘टैक्स‘ दूर भगायेंगे

देश का पैसा देश में ही मिल - बैठ कर खायेंगे।

रे मजदूर , रे मजदूर

तू नहीं रहा कभी ‘इन‘ आंखों से दूर

उठा बोतल , झूम ले प्यारे, हमी हैं

पितु- मातु , सखा तुम्हारे ।

जान ले ए दोस्त , अगर अपने भाग्य को है चमकाना

तो ‘डूबती नैया‘ को ही बचाना ।

वायदा करते हैं तुझसे , स्वर्ग को यहीं खींच लायेंगे

आप सभी को ‘ फील -गुड‘ करायेगें ।

पब्लिक को जाता देख उधर -

हाथ में पिस्तौल झुलाता , एक गुंडा नुमा नेता गुरराया इधर

भाइयो और बहनों , उधर देखना भी पाप है

इधर , तुम्हारा बाप है ।

अगर उसकी नैया को बचाओगे ,

तो अपनी नैया यहीं डुबाओगे ।

पिस्तौल टेबल पर रख , लगभग पुचकारते हुये वह बोला

सुन मेरे यार , गर बीवी - बच्चों से है प्यार

तो ले, ये पिस्तौल है तैयार , इसी पर ‘पीं‘ बजाना

अपना पयूचर स्वयं बनाना ।

पब्लिक को खिसकता देख , वह बोला

डरने की क्या बात है ,पुलिस , सी़ बी आई सब साथ है ।

वायदा करते हैं तुझसे , ‘कैश फलोे‘ बढ़ायेंगे ।

चोरी , अपहरण ,डकैती और घोटाला

जैसे भी हो सकेगा , घर का ‘रैवन्यू‘ बढ़ायेंगे ।

चौतरफा हंगामा होने पर भी कुछ न बिगडे़गा हमारा

सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तान हमारा ।

राजनीतिक फार्मूले की इसे ‘ओवरडोज़‘ से

चैथे स्टॅाल का नेता ‘बोरी - बिस्तरा‘ लेकर भाग गया

पांचवें को लकवा मार गया ।

छठे स्टॅाल का नेता राजनीति में ‘व्यस्क‘ नहीं था

रामराज्य , समाज़वाद , व अहिंसा जैसे उल-ज़लूल शब्द बकता था

राजनीति को सच्चााई व ईमानदारी से तौलता था ।

यूं , तो वह भी ‘वायदो‘ का पिटारा लाया था

मगर , इन गुरूओं के आगे , कछ न बोल पाया

पर कटे पक्षी की तरह तड़फड़ाया और वहीं जमीन पर गिर पड़ा ।

सातवें , स्टॅाल के दारू का धंधा करने वाले नेता ने

अफीम बेचने वाले , आठवें , स्टॅाल के नेता के कान में कहा -

राम नाम सत्य है ।

राम नाम सत्य है ।।



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