चुनावी मेला
चुनावी मेला
चुनावी मेले में नेता अपनी -अपनी कपैस्टी से चिल्ला रहे थे
रंग - बिरंगे वायदों से पब्लिक को लुभा रहे थे ।
पहले स्टॅाल के बाज़ू वाले नेता का स्वर ओज़स्वी था
प्रतिद्वंद्वी नेताओं के स्वरों को बड़ी ‘इज़ली‘ काट रहा था
आओ देश के नौवजवानों आओ
नौकरी का आश्वासन तुरंत पाओ ।
पिता जी , माता जी़ आप भी आइये -
वोट के बदले बुढ़ापा पेंशन कार्ड बिल्कल ‘फ्री ‘ पाइये ।
हे अन्न उगाने वालों , हमारे पास आपके लिये भी खजा़ना है -
आने वाले ‘पांच सालों ‘ में नदियों का पानी जोड़ दिया जाना है ।
इसलिये , हमें जिताओं , अपनी फसल का मुंह मांगा दाम पाओ ।
बहनों , भाभियों घबराओं नहीं , शर्माओ नहीं , तुम भी आगे आओ
हम आपके लिये भी कुछ लाये हैं , सोने के दाम घटाये हैं ।
फौरन, यहां ‘पीं‘ बजायें
एक सिल्क की साड़ी के साथ ,
दो लाख के हार का ‘कूपन‘ बिल्कुल मुफत पायें।
देश की अर्थव्यवस्था बनाने वाले व्यापारियों
हमने आपके लिये भी कुछ सोचा है
अगर , इस बार भी साथ दिया तो
तमाम ‘टैक्स‘ दूर भगायेंगे
देश का पैसा देश में ही मिल - बैठ कर खायेंगे।
रे मजदूर , रे मजदूर
तू नहीं रहा कभी ‘इन‘ आंखों से दूर
उठा बोतल , झूम ले प्यारे, हमी हैं
पितु- मातु , सखा तुम्हारे ।
जान ले ए दोस्त , अगर अपने भाग्य को है चमकाना
तो ‘डूबती नैया‘ को ही बचाना ।
वायदा करते हैं तुझसे , स्वर्ग को यहीं खींच लायेंगे
आप सभी को ‘ फील -गुड‘ करायेगें ।
पब्लिक को जाता देख उधर -
हाथ में पिस्तौल झुलाता , एक गुंडा नुमा नेता गुरराया इधर
भाइयो और बहनों , उधर देखना भी पाप है
इधर , तुम्हारा बाप है ।
अगर उसकी नैया को बचाओगे ,
तो अपनी नैया यहीं डुबाओगे ।
पिस्तौल टेबल पर रख , लगभग पुचकारते हुये वह बोला
सुन मेरे यार , गर बीवी - बच्चों से है प्यार
तो ले, ये पिस्तौल है तैयार , इसी पर ‘पीं‘ बजाना
अपना पयूचर स्वयं बनाना ।
पब्लिक को खिसकता देख , वह बोला
डरने की क्या बात है ,पुलिस , सी़ बी आई सब साथ है ।
वायदा करते हैं तुझसे , ‘कैश फलोे‘ बढ़ायेंगे ।
चोरी , अपहरण ,डकैती और घोटाला
जैसे भी हो सकेगा , घर का ‘रैवन्यू‘ बढ़ायेंगे ।
चौतरफा हंगामा होने पर भी कुछ न बिगडे़गा हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तान हमारा ।
राजनीतिक फार्मूले की इसे ‘ओवरडोज़‘ से
चैथे स्टॅाल का नेता ‘बोरी - बिस्तरा‘ लेकर भाग गया
पांचवें को लकवा मार गया ।
छठे स्टॅाल का नेता राजनीति में ‘व्यस्क‘ नहीं था
रामराज्य , समाज़वाद , व अहिंसा जैसे उल-ज़लूल शब्द बकता था
राजनीति को सच्चााई व ईमानदारी से तौलता था ।
यूं , तो वह भी ‘वायदो‘ का पिटारा लाया था
मगर , इन गुरूओं के आगे , कछ न बोल पाया
पर कटे पक्षी की तरह तड़फड़ाया और वहीं जमीन पर गिर पड़ा ।
सातवें , स्टॅाल के दारू का धंधा करने वाले नेता ने
अफीम बेचने वाले , आठवें , स्टॅाल के नेता के कान में कहा -
राम नाम सत्य है ।
राम नाम सत्य है ।।