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NARINDER SHUKLA

Tragedy

4  

NARINDER SHUKLA

Tragedy

अमन बिक रहे हैं

अमन बिक रहे हैं

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अमन बिक रहे हैं , चमन बिक रहे हैं ।

लाशों से लेकर कफ़न बिक रहे हैं ।।

म्ंत्रियों को देखा है खुले आम बिकते

दारोगा, वकील भी हो रहे नंगे

मार ले डुबकी ... हर - हर गंगे ।

घोटाले पर घोटाले रोज़ हो रहे हैं ।

अमन बिक रहे हैं , चमन बिक रहे हैं ।

लाशों से लेकर कफ़न बिक रहे हैं ।।


मान बिक रहा है , ईमान बिक रहा है

मसूम ब़िच्चयों का सम्मान बिक रहा है

आन बिक रही है , शान बिक रही है

लूट लो कोयले की खान बिक रही है

पद बिक रहे हैं , मद बिक रहे हैं

कौडियों में अफसरों के कद बिक रहे हैं

रेल बिक रहा है , खेल बिक रहा है

सटटे पर सटटे रोज़ लग रहे हैं ।

अमन बिक रहे हैं , चमन बिक रहे हैं।

लाशों से लेकर कफ़न बिक रहे हैं ।।


महंगाई का आलम देखो तो

बाज़ार में चल कर देखो तो

प्याज़ से लेकर रोटी तक

शर्ट से लेकर लंगोटी तक

झोपड़ों के दाम भी बढ़े जा रहे हैं ।

अमन बिक रहे हैं , चमन बिक रहे हैं ।

लाशों से लेकर कफ़न बिक रहे हैं ।।


दया ,प्रेम व सहानुभूति हो रहे बेमानी

नफरत, हिंसा हो गई जानी - मानी

दिल मंहगा पर मौत सस्ती

लहू के समुद्र में डूब रही कश्ती

ममता के घरोंदे उड़े जा रहे हैं

अमन बिक रहे हैं , चमन बिक रहे हैं ।

लाशों से लेकर कफ़न बिक रहे हैं ।।


आओ सब मिलकर मीत बना लें

भाईचारे का नया कोई गीत बना लें

जति , धर्म व माया को एक ओर रखकर

मन में प्रेम की गंगा बहा लें

म्ंदिर - मस्ज़िदों को छोड़कर

घर - घर प्रभू स्वयं चले आ रहे हैं

अमन बिक रहे हैं , चमन बिक रहे हैं ।

लाशों से लेकर कफ़न बिक रहे हैं ।



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