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tanu jha

Others Tragedy

5.0  

tanu jha

Others Tragedy

भ्रूण हृदय

भ्रूण हृदय

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निशि काल में एक स्वप्न ने,

मन को मेरे झकझोर दिया।

गर्भ में पलती एक भ्रूण कन्या को,

किस्मत ने मेरी ओर किया।


पहुंच गयी मैं रक्त लहर की ,

मातृ गर्भ के पात्र में।

यहाँ पर एक सुकुमारी कन्या ,

गिन रही थी साँसे साथ में।


पहले तो डर गयी वह हमसे ,

पर फिर आँखें चार हुई।

प्रेम भाव से उसकी वाणी ,

सुनने को मैं बेक़रार हुई।


कोमल निर्मल पुष्प - कली सी,

प्रीतांश भरी वह भाषा थी।

धीरे-धीरे कह गयी वह मुझसे ,

जो भी उसकी आशा थी।


न जाने कब मैं उस ,

सुन्दर धरती पर जाऊँगी।

माँ बाबा से पाकर मैं,

किस नाम से जानी जाऊँगी।


बाबा भी तो हाथ पकड़कर,

चलना मुझे सिखाएंगे।

माँ बाबा संग अपार प्रीति में,

कई सारे खेल खिलाएंगे।


माता के संग रोज़ सुबह मैं ,

विद्यालय पढ़ने जाऊँगी।

बाबा के आदर्शों पर चलकर ,

उनका नाम बढ़ाऊँगी।


बेटी की सी प्रीति पाकर ,

बेटा सा नाम कमाऊँगी।

कलंक रहित जीवन जीकर मैं,

एक दिन बड़ी हो जाऊँगी।


फिर एक दिन एक राजकुमार ,

आकर मुझ को ले जायेगा।

बाबा से अनुमति पाकर ,

वह मुझसे विवाह रचाएगा।


आरम्भ होगा फिर नव- जीवन का ,

कर्तव्यों का पालन होगा।

आदर्श कुलवधू बनने का ,

फलीभूत मेरा दामन होगा।


फिर मैं भी नया संसार रचने में,

अपनी भागीदारी अदा करुँगी।

यह जो जीवन चक्र चल रहा ,

उसमे मैं अंशित सदा रहूँगी।


नारी जीवन के दायित्वों का ,

निर्वाह हमेशा करना है।

माँ बाबा के उपकारों का ,

ब्याज हमेशा भरना है।


अब न मुझसे विलम्ब हो रहा,

मुझे उस संसार में जाना है।

अपने उत्तरदायित्वों को ,

मुझे निष्ठा से निभाना है।


कितनी खूबसूरत होगी वह धरती,

कितने अच्छे होंगे लोग।

बेटी के जन्मने का ,

नहीं मनाएंगे वे शोक।


बात अभी तक चल ही रही थी,

उतने में ही भूचाल आ गया।

माँ की चींखे सुनकर मेरे मन में,

डर का ख्याल आ गया।


बढ़ा हाथ एक गर्भ पात्र में ,

कन्या को जबरन खींच लिया।

जो भी था बंजर अंश हृदय का ,

उसको आँसू ने सींच दिया।


बच्ची रोती रही बिलख कर ,

आँखें मेरी क्षीण हुई।

मन मेरा विक्षिप्त हो गया ,

दिल से मैं गंभीर हुई।


मार दिया लोगों ने उस,

भ्रूण हृदय के आँचल को।

बेशर्म किया उन ख्वाबों ने,

पुरुष सत्ता की ताकत को।


जब नींद खुली तो पाया मैंने,

मैं किस नरक में पलती हूँ।

जिस अग्नि में जली कामना ,

मैं उस अग्नि से तरती हूँ।


भला मिला सौभाग्य मुझे ,

की मैं सबकी प्यारी हूँ।

पर उस नवजात के आगे मैं,

क्षण भर में ही हारी हूँ।


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