दोस्ती
दोस्ती
बाँस के तने की तरह खोखली जिंदगी ,
पर जब जिंदगी का असली मज़ा आया।
तब मैंने खुद को अपने दोस्तों के साथ पाया ,
मुस्कुराने की वजह ढूंढते थे कभी।
पर जब किसी ने बिना मतलब के हँसाया,
तब खुशी का मतलब समझ आया।
कभी मज़ाक बना तो कभी मज़ाक बनाया ,
रात रात भर जाग कर सबका नाश्ता खाया।
जब सुबह लेट हुए तब टीचर से डॉट भी खाई,
मस्ती होती थी ज्यादा कम होती थी पढ़ाई।
कभी किसी का सामान छुपाया,
तो कभी दुसरो को लड़वाया।
कुछ अलग ही मज़ा है इन बेढंगी बातों में ,
दोस्तों के साथ बिताई उन रातों में।
कुछ अलग ही मज़ा है उनको बहलाने में ,
रूला रुला कर उनको ही हँसाने में।
उड़ा उड़ा कर जीना हराम कर दिया ,
कहानी सुन सुन कर सुबह को शाम कर दिया।
एग्जाम बेकार गया तो एक दूसरे को सहलाते थे,
पास तो हो ही जाएँगे कहकर खुद को बहलाते थे।
फिर भी क्लास में डमसराज खेलना छोड़ा नहीं ,
छिप कर पार्टी करने से मुँह कभी मोड़ा नहीं।
अब समझ गए की प्यार प्यार में कुछ नहीं रखा है,
दोस्तों के लिए जीने का अलग ही मज़ा है।
यही एक रिश्ता है,
जिसमे प्यार है और जिसके साथ जीना दुश्वार है।
ईश्वर भी इसके सामने मान चुका हार है।
दोस्तों के साथ जीने मिले तो मौका मिले तो खोना नहीं,
वरना फिर बाद में अपनी करनी पर रोना नहीं।
