बस एक बार
बस एक बार
बस एक बार,
खुद को पहचानने का प्रयत्न तो करो।
अपने मन के रिक्त स्थानों को,
अपनी काबिलियत से तो भरो।
पनप रही बुराइयों से,
दृढ संकल्प से कभी तो लड़ो।
अपने लिए तो सब जीते हैं,
दूसरों के लिए कभी तो मरो।
बस एक बार,
अपने आदर्शो पर चलकर तो देखो।
अपनी अच्छाइयों को सहेजना तो सीखो,
अपने विश्वास से आँखे तो सेको।
दुनिया तो रोकेगी ही,
अपने डर को कहीं दूर तो फेंको।
बस एक बार,
पथ की बाधाओं से लड़ो तो सही।
जिंदगी तो जंग है,
इसके समाधानों को ढूंढो तो कहीं।
खुशामद तो सभी करते हैं,
जो तुम्हारी निंदा करे अच्छा है वही।
खुशियाँ तो सब पाते हैं,
पर यथार्थ में दुःख कोई
विष का प्याला तो नहीं।
बस एक बार ,
अपनी इन्द्रियों को अपने काबू में करना है।
जीवन तो सभी जीते हैं,
पर उस जीवन में अनुभवों को भरना है।
और किसी से नहीं,
केवल परम दृष्टि से डरना है।
समाज में पनपती
कुरीतियों से लड़ना है।
बस एक बार,
अपने आस पड़ोस की चीखें तो सुनना।
दुनिया में तो सभी दुखी है,
कभी तो तुम उनके मन में,
गहन प्रेम का गलीचा बुनना।
रुदन तो आँखों का आधार है ही,
कभी तो उन आँखों में,
अंजानों के लिए भी स्नेह पालना।
दूसरों के अनुयायी तो
सब बन जाते हैं,
बस एक बार स्वयं को
स्वयं के हिसाब से ढालना,
बस एक बार।।
